10/10/2006

इलाहाबाद से प्रतापगढ तक

प्रतापगढ मे शाम के समय का दृश्‍य प्रथम

प्रतापगढ मे शाम के समय का दृश्‍य द्वि‍तीय

प्रतापगढ मे शाम के समय का दृश्‍य तृतीय (जला दो किसानो के दुश्‍मान को)

प्रतापगढ मे शाम के समय का दृश्‍य चतुर्थ

यह मेरा घर है

मेरी फोटो भी खीचों


सूखे की मार किसान क्‍या पशु भी है लाचार


दादा-दादी की गाय भैंस

कद्दू चढा छान पर


नीबू

मै रावड का भाई कटहल हूं।

अवालो का शहर प्रतापगढ


इलाहाबाद से जाते समय गंगा जी फाफामऊ के पुल से, शरद पूर्णिमा का स्‍नान पर्व है।

कहां है मेरा नाविक ?

5 comments:

Anonymous said...

very nice! keep it up.

अनुराग श्रीवास्तव said...

छुटपन में प्रतापगढ़ में रहा हूं मैं, याद आ गयी। उस समय फाफामऊ में कर्जन ब्रिज हुआ करता था, अब तो खैर नया बन गया है।

चित्र बहुत सुंदर थे, यह बात मैं तकनीकि मापदण्ड पर नहीं बल्कि भावनात्मक मापदण्ड पर परख कर कह रहा हूं - दिल के पास।

Dr Prabhat Tandon said...

बहुत बढिया, प्रमेन्द्र, ल्गे रहो इसी तरह

Atul Arora said...

चित्र अच्छे हैं। भावनात्मक तरीके से परोसे हुए।

Manish Kumar said...

रेल और गाँव यात्रा की ये झांकी मनोरम लगी ।

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