प्रतापगढ मे शाम के समय का दृश्य द्वितीय
प्रतापगढ मे शाम के समय का दृश्य तृतीय (जला दो किसानो के दुश्मान को)
प्रतापगढ मे शाम के समय का दृश्य चतुर्थ
सूखे की मार किसान क्या पशु भी है लाचार
नीबू
मै रावड का भाई कटहल हूं।
इलाहाबाद से जाते समय गंगा जी फाफामऊ के पुल से, शरद पूर्णिमा का स्नान पर्व है।
कहां है मेरा नाविक ?
5 comments:
very nice! keep it up.
छुटपन में प्रतापगढ़ में रहा हूं मैं, याद आ गयी। उस समय फाफामऊ में कर्जन ब्रिज हुआ करता था, अब तो खैर नया बन गया है।
चित्र बहुत सुंदर थे, यह बात मैं तकनीकि मापदण्ड पर नहीं बल्कि भावनात्मक मापदण्ड पर परख कर कह रहा हूं - दिल के पास।
बहुत बढिया, प्रमेन्द्र, ल्गे रहो इसी तरह
चित्र अच्छे हैं। भावनात्मक तरीके से परोसे हुए।
रेल और गाँव यात्रा की ये झांकी मनोरम लगी ।
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