



मै अप्रेल मई की भीषण गर्मी में अपने आपको उक्त वेश भूषा में रख कर परीक्षा देने जाता था, अदिति को भी लगा कि स्कूल और सड़क पर गाड़ी से जाने के लिये ऐसे ही बनना पड़ता है। मै अपने परीक्षा देने के लिये जाने वाला था कि अदिति मेरे सारे समान के साथ स्वयं तैयार थी अपनी गाड़ी पर।
साथ ही साथ उसने बकायदा गेट खुलवाया और अपनी सायकिल को बाहर निकाल लिया, साथ ही साथ उसका ऑफर भी बहुत अच्छा था कि - छोटे चाचा आप हमारे गाड़ी पर बैठ चला हम परीक्षा देवावे लै चलब और रस्ता में गई मिली तो ओके मार देब। गइया की बात इसलिये आती है कि एक दिन मै परीक्षा दे कर लौट रहा था कि एक गाय से छोटी से टक्कर हो गई और हाथ छिल गया। मैने अदिति को बता दिया कि गइया काट ली है, उस दिन के बाद से वह रोज डंडा लेकर मुझे कालेज छोड़ने को तैयार रहती थी।