1/18/2007

अर्ध कुम्भ दर्शन भाग - १

ये सभी कला क्रति भूमि पर लकडी के बुरादे से बनी हुई है!
शिव
गणपति

लज्ज की मारी एक नारी

नागा साधू जूना आखाडा


मित्र अनुराग

मेरे मित्र तारा चन्द्र, हिमान्शु और अनुराग

5 comments:

शैलेश भारतवासी said...

सत्र २०००-२००१ में जब महाकुम्भ लगा था तो मैं उस वक़्त इलाहाबाद में ही था। प्रमेन्द्र ने यादों को ताज़ा कर दिया।

धन्यवाद।

Divine India said...

sme snap are marvellous...good to remember me kumbh of world's behaviour...

राकेश खंडेलवाल said...

अच्छा लगा चित्र ये देखे, फिर यादें ताजा हो आईं
फिर आंखों में लगी घूमने,वो चौराहों की प्रभुताई
शिव ,गणेश,हनुमान, राम के चित्र किया करते पथ रंगीं
और कहीं थी राधा मिलती और कहीं पर कॄष्ण कन्हाई

Pratik Pandey said...

सुन्दर तस्वीरें... अर्धकुम्भ की और भी तस्वीरों का इन्तज़ार रहेगा।

संजय बेंगाणी said...

आपने कुम्भ मैले के नजारे देखने का मौका दे दिया. साधूवाद.
(आपने भूल से कृति को क्रति टंकित किया है,अन्यथा न ले यह मीनमेख निकालना नहीं है.)

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