8/18/2007

जॉच प्रविष्टि - पर आप टिप्‍पणी कर सकते है।

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यह नारद के कोड़ को लेकर की गई है। साथ में एक फोटों भी दे रहा हूँ। ताकि यह पोस्‍ट व्‍यर्थ न जाये :)



सब मुझे अकेला छोड़ कर कहॉं चले गये ?

यही सोच रहा होगा एक छोटा सा अकेला बादल

3 comments:

ePandit said...

बादल अकेला है, ये आपकी गलतफहमी है।

Udan Tashtari said...


उड़ चले थे खुद ही, इठलाते हुए,
अपनी धुन में यूँही गुनगुनाते हुए,
क्यूँ अब शरम नहीं आ रही तुम्हें
यूँ जमाने पर तोहमत लगाते हुए.


--यह बादल के इस टुकड़े के लिये है भाई जो सोच रहा है कि सब उसे अकेला छोड़ गये.

आपने तो कुछ लिखा ही नहीं है आपकी तो जाँच प्रविष्टि है, उस पर क्या टिपियाये. :)

Unknown said...

नर हो न निराश करो मन को , कुछ काम करो, कुछ काम करो

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