मैने अभी तक जितने भी चित्र प्रयाग दर्शन के तहत खीचे है वे सभी अपनी साईकिल से चलते हुऐ बिना रूकें खीचे है, और फोटो भी खीख्ने वाला भी मै था और साइकिल चलाने वाला भी मै ही था। इस लिये चित्र कही कही स्पष्ट नही है। :)
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4 comments:
वाह खूब फोटुएं दिखाई, पहली, दूसरी और चौथी कुछ सपष्ट नहीं आई। चौराहे वाला फोटो और अंतिम देना बैंक वाला फोटो ऐसा लग रहा है जैसे स्टंट फिल्म का सीन हो।
वाह भाई वाह!
निरंजन में आखिरी फिल्म जो देखी थी वह थी 'सागर'. ऐंग्लो बंगाली के सामने तिब्बती ऊनी कपड़े बेंचा करते थे. और हां, जानसेनगंज के चौराहे पर 'रेखी ब्रदर्स' की संगीत की दुकान होती थी 'रेकार्डस' वगैरह बेंचते थे, अभी भी है क्या?
tasveer ke kya kahne------lazwab
aapne nazar ko nazar ki nazar se dekha hai
parul pathak
pryag darshn karne yogy hai
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